रेल महाप्रबंधक को गरीब किसानों ने बताई सच्चाई
विशेष रिपोर्ट। सतना और रीवा रेलखंड के रेलवे लिंक परियोजना के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण जिम्मेदारी के साथ कर लिया गया पर अफसोस आदेश होने के बाद भी रेलवे ने परिवार से किसी एक सदस्य को नौकरी देने का काम नहीं किया। यही वजह है कि शनिवार को जब पश्चिम मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक शैलेन्द्र सिंह निरीक्षण करने के लिए रीवा रेलवे स्टेशन पहुंचे तभी वहां मौजूद सैकड़ों किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। रेल प्रशासन मूर्दाबाद के नारे लगाए गए। काफी हो हंगामे के बीच परेशान किसानों ने रेल महाप्रबंधक शैलेन्द्र सिंह को अपनी मांग से संबंधित एक ज्ञापन पत्र सौंपा। जिसमें किसानों ने बताया कि मंत्रालय का आदेश होने के बाद भी उन हितग्राहियों को रेलवे में नौकरी देने का काम आज तक नहीं किया गया है। सतना- रीवा रेलवे लिंक परियोजना के लिए सन् 1985 में सतना से रीवा के बीच जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू कर दी। हुजूर तहसील के अंतर्गत आधा दर्जन गांवों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया पर उसके बदले किसी भी हितग्राही को रेलवे में नौकरी देने का काम मंत्रालय जिम्मेदारी के साथ नहीं किया है। तकरीबन 168 हेक्टेयर से अधिक जमीन का अधिग्रहण रेलवे ने सन् 1985 से शुरू किया था। रेल मंत्रालय के आदेश पर भी तत्कालीन अधिकारियों ने परेशान और गरीब हितग्राहियों को नौकरी देने का काम नहीं किया।
*इस तरह किया गया है जमीन अधिग्रहण*
हासिल जानकारी के अनुसार सतना रीवा रेलवे लिंक परियोजना के अंतर्गत ग्राम पडरा सुआरन टोला 3.460 हेक्टेयर, ग्राम खैरी 8.774 हेक्टेयर, ग्राम गोडहर में 71.267 हेक्टेयर, ग्राम रमकुई में 32.221 हेक्टेयर, ग्राम करहिया में 0.950 हेक्टेयर, ग्राम तिघरा में 12.436 हेक्टेयर, जोनही गढ़ी में 19.54 हेक्टेयर, बहेलिया में 2.734 हेक्टेयर, छिजवार में 14.674। हेक्टेयर और मधेपुर में 2.461 हेक्टेयर, यानी कुल 168.591 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई। भारत सरकार के रेल मंत्रालय एवं रेलवे बोर्ड के आदेश E ng 11/89 rc-2 /38 दिनांक में 10/11/1989 के तहत गुप सी और गुप डी पोस्ट पर रेलवे से विस्थापित परिवार को रोजगार देने की बात कही गई थी। रोजगार देने के लिए आवेदन भी मंगवाए गए, लेकिन सन् 1985 से वर्तमान तक किसी भी हितग्राही को रेलवे में नौकरी नहीं मिली है। किसान नेता सुब्रत मणि त्रिपाठी, संदीप शुक्ला रिंकू के साथ और हितग्राही लगातार नौकरी के लिए आवाज उठा रहे हैं।
0 Comments