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रसूखदारों के पावर ने विभाग को कर दिया नतमस्तक :


उद्घोष समय "राष्ट्रीय मासिक पत्रिका"


सतना जिले की हर तहसील में जारी है अवैध उत्खनन
सतना अवैध उत्खनन एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके आगे सरकारी मशीनरी समय के साथ नतमस्तक हो चुकी है। सतना जिले की हर तहसील क्षेत्र में अवैध उत्खनन का सुनियोजित खेल बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन के खनिज विभाग पर अवैध उत्खनन को संरक्षण देने के आरोप हमेशा लगते हैं। इस खेल को संरक्षण देकर जहां सरकारी मशीनरी ऊपरी कमाई के सपने को साकार रूप देने का काम करती है तो वहीं दबंग किस्म के लोगों का धंधा उन्नति रास्ते पर हमेशा आगे बढ़ता जाता है। अवैध उत्खनन करते हुए जिले की संपत्ति को बाहर भेजने का काम निरंतर किया जाता है। जिला खनिज विभाग के मुखिया से लेकर तमाम मातहत के लिए अवैध उत्खनन लक्ष्मी हासिल करने का एक बड़ा माध्यम बन गया है। अक्सर उन संदिग्ध लोगों को कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर संचालित जिला खनिज विभाग कार्यालय के आसपास देखा जाता है। जिला खनिज विभाग अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए मुट्ठी भर कार्रवाई को अंजाम जरुर देता है। जिससे शासन स्तर पर यह पता चलता रहा कि सतना जिले में भी अवैध उत्खनन को लेकर खनिज विभाग सर्तक बना हुआ है। 
मझगवां, रामनगर सहित सभी तहसीलों में आबाद
हासिल जानकारी के मुताबिक सतना जिले में अवैध उत्खनन एक बड़ी समस्या हमेशा रही है। सबसे अधिक गतिविधियां मझगवां, रामनगर, अमरपाटन, नागौद, सिंहपुर, रामपुर बाघेलान, उचेहरा, मैहर सहित अन्य तहसील एरिया में भी अवैध उत्खनन के नजारे देखे जा सकते हैं। कभी कभार जरुर जिला प्रशासन का खनिज विभाग, पुलिस अथवा एसडीएम और तहसीलदार अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नजर आते हैं। लेकिन समस्या के स्थाई समाधान को प्राथमिकता देने का काम किसी ने भी जिम्मेदारी के साथ नहीं किया। 
रिकार्ड में बंद और मौके पर जारी उत्खनन
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सतना जिले की अधिकांश तहसीलों में कुछ ऐसी खदानें हैं जिन्हें जिला खनिज विभाग रिकार्ड में बंद बताता है। लेकिन वास्तव में मौके पर बराबर अवैध उत्खनन का काम किया जाता है। दस्तावेजों में बंद खदानों की वास्तविकता पता करना जिला खनिज विभाग ने आज तक जरुरी नहीं समझा है। जानकारों ने बताया कि तहसील के साथ साथ जिला खनिज विभाग में ऐसे लोग बहुतायत पदस्थ हैं जो कहीं न कहीं अवैध उत्खनन कराने वालों को उपकृत करते हैं। जिला खनिज विभाग में बहुत से ऐसे खनिज इंस्पेक्टर हैं जो विभाग के मुखिया की स्थाई व्यवस्था बनवाने के साथ साथ मासिक व्यवस्था अपने लिए बना लेते हैं। इस विभाग में बहुत सा ऐसा स्टाफ है जो पिछले कई सालों से कुंडली मारकर सतना में जमा हुआ है और वही अवैध उत्खनन कराने वालों के रहनुमा साबित होते हैं। 
राजनैतिक पावर के कारण सरकारी अमला सरेंडर
जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार जिले में अवैध उत्खनन के सबसे बड़े रहनुमा वे नेता गण होते हैं जिनका दबदबा विपक्ष होने के बाद भी बराबर बना रहता है। जिस राजनैतिक दल की मध्य प्रदेश में सरकार होती है और उसके अलावा विपक्ष में रहने वाले राजनैतिक दल के बहुत से ऐसे प्रभावशाली नेताओं की मौजूदगी बनी हुई है जो या तो खुद अवैध उत्खनन करवाते हैं या फिर उनका कोई करीबी इस खेल में बना होता है। जिला खनिज विभाग के अधिकारियों को हमेशा राजनैतिक पावर के सामने पस्त देखा गया है। जनप्रतिनिधियों का दखल बने रहने की वजह से सरकारी मशीनरी भी परंपरा निभाने तक सीमित रहती है।


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