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सतना जिले में अवैध शराब बिकवाता है आबकारी विभाग


निरीक्षकों ने फैलाया शहर में मायाजाल, हालात बेकाबू



 उद्घोष समय "राष्ट्रीय मासिक पत्रिका"


अवैध शराब की बिक्री से अंचल में भय का वातावरण


मध्य प्रदेश शासन का आबकारी विभाग अवैध शराब के कारोबार को मुकम्मल बनाने में जी जान से जुटा हुआ है। शासन ने अवैध शराब और पैकारी में नकेल कसने का आदेश जारी कर रखा है इसके बाद भी आबकारी विभाग मात्र कागजी कार्रवाई को अंजाम देने तक सीमित रहता है। सतना जिले के शहर मुख्यालय में आबकारी विभाग के दो कोहिनूर इंस्पेक्टर अवैध शराब के कारोबार को बढ़ाने का काम जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं। शहर में क्रमांक 1 और क्रमांक 2 की जिम्मेदारी राकेश चंद अवधिया और नीलेश गुप्ता को सौंप रखी है।  ये दोनों निरीक्षक रिटेलर के लिए ईमानदारी से काम करते हुए अवैध शराब के कारोबार को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सतना शहर में अवैध शराब बिक्री का पूरा नेटवर्क काम करता है। शराब दुकानों के ठेकेदारों और आबकारी विभाग का चोली दामन वाला साथ रहता है इसलिए आबकारी विभाग जिम्मेदारी के साथ अवैध शराब बिकवाने का काम करता है। होली के त्यौहार को देखते हुए सतना जिले में शराब माफिया ने आबकारी विभाग के साथ मिलकर सुनियोजित तैयारी कर डाली है। राकेश अवधिया और नीलेश गुप्ता ठेकेदारों को बराबर सहयोग देने का काम आला अधिकारियों के आदेश पर करते हैं। आबकारी विभाग की मिलीभगत के कारण सतना शहर के हर मोहल्ले सहित गांवों में अवैध शराब बिकवाने का काम डंके की चोट पर किया जा रहा है। 
दुकान एक पर रेट अनेक, विभाग का खुला संरक्षण
जिला आबकारी विभाग की सह पर शराब के मामले में अलग अलग रेट की व्यवस्था संचालित होती है। शहर में शराब पीने के शौकीन लोगों को शराब दुकानों में अलग अलग रेट मिलते हैं। इस पर दबी जुबान आबकारी विभाग के एक्सपर्ट बताते हैं कि शराब दुकानों की कीमत अलग-अलग एरिया के हिसाब से विभाग तय करता है। नियमानुसार शराब का रेट शासन की दुकानों में एक जैसा होना चाहिए लेकिन यह स्थिति आज तक देखने को नहीं मिलती है। रिटेलरों को सहयोग करने वाले निरीक्षकों की वजह से अवैध शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है। 
आबकारी अधिकारी हमेशा ठेकेदारों के रहे मददगार
अवैध शराब समाज के लिए एक खतरनाक बीमारी बन गई है। इस कोढ से खतरनाक बीमारी को बढ़ाने का काम पुलिस के साथ साथ जिला आबकारी विभाग करता है। आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी और शराब माफिया के बीच मजबूत याराना जगजाहिर है। शासन के तय वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने तक ही आबकारी विभाग की सक्रियता रहती है। सतना जिले में आबकारी विभाग की हालत पिछले पांच साल के दौरान बद से बद्तर हुई है। हर शराब ठेकेदार से मासिक कमीशन पाने वाले अधिकारियों के रहते अवैध शराब बिक्री के कारोबार पर कभी सार्थक नकेल नहीं कसी जा सकती।


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