शासन ने सौंपा जांच का जिम्मा, कागजों तक खानापूर्ति
सतना। नशा मुक्त समाज के दिखावटी नारों और बेमतलब के अभियान से समाज में रहने वालों को गुमराह जरुर किया जा सकता है पर वास्तविकता से किनारा नहीं किया जा सकता। समय समय पर मध्य प्रदेश में शराबबंदी की ढकोसली बातें जरुर सुनने को मिल जाती हैं पर अत्याधिक मैनेजमेंट और व्यक्तिगत उद्देश्यों की पूर्ति का जरिया बन चुके इस शराब के कारोबार को हमेशा के लिए बंद करने बाबत सरकार और सरकारी मशीनरी कभी संजीदा नजर नहीं आए। सतना जिला सहित पूरे मध्यप्रदेश में शहरों की गली-गली और गांव गांव को शराब कारोबार से रोशन कर दिया है। नशा मुक्त समाज का नारा सरकारी औपचारिकता के अलावा और कुछ नहीं है। इस नशा मुक्त समाज के नाम पर लोगों को धोखे में रखना सरकारों की आदत बन गई है। सरकार की मौका परस्त सोच के कारण ही आम आदमी का कभी भला नहीं हो सकता है। जिला आबकारी विभाग शराब ठेकेदारों की सेवा के लिए हमेशा से ही बदनाम रहा है। जिला आबकारी विभाग हमेशा पूरी ईमानदारी के साथ शराब ठेकेदारों के लिए काम करता आया है। आबकारी विभाग में अंग्रेजी और देशी शराब दुकानों की जांच पड़ताल का जिम्मा शासन आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और निरीक्षकों को सौंप रखा है। यह वही सरकारी अमला है जो शराब ठेकेदारों की दुकानों को फायदे में लाने के लिए तरह तरह के हथकंडे ईमानदारी के साथ अपनाता है।
मुट्ठी भर कार्रवाई और बहती गंगा में लगाते हैं डूबकी
जिला प्रशासन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शासन स्तर पर बैठने वाले दिग्गज अधिकारियों और सरकार चलाने वालों को शराब कारोबार से जुड़ी कार्रवाई के नाम पर होने वाली लीपापोती के बारे में बखूबी पता होता है, इसलिए दिखावे तक सब सीमित रहता है। यदि जिला आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर और निरीक्षकों की कार्रवाई पर सघन और पैनी नजर रखते हुए जांच कराई जाए तो महाघोटाला उजागर होगा। कागजी खेल के सहारे इंस्पेक्टर और निरीक्षकों का दल शराब ठेकेदारों से संबंध निभाता है। विभागीय कागजों में मुट्ठी भर शराब पकड़ने की कार्यवाही को ढाल बनाकर इंस्पेक्टर और निरीक्षकों की टीम ऊपरी कमाई के सपने को साकार करती है। बकायदा प्रत्येक अंग्रेजी और देशी शराब दुकान से हर माह तय अवधि में जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी तक हिस्सा ठेकेदारों के माध्यम से पहुंच जाता है। मुट्ठी भर कागजी कार्यवाही को आबकारी अधिकारी की मंशा पर अंजाम दिया जाता है। वित्तीय वर्ष में शराब माफिया के लिए जिला आबकारी विभाग दुधारू गाय साबित होता है। जिला आबकारी अधिकारी सहित विभाग के सभी इंस्पेक्टर और निरीक्षकों को भी हर लाइसेंसी शराब दुकानों से माहवारी का भुगतान याद से किया जाता है।
जिला आबकारी विभाग में कोई किसी से कम नहीं
शहर सहित गांव गांव तक शराब को पहुंचाने में अहम योगदान निभाने वाले आबकारी विभाग की कथनी-करनी में हमेशा अंतर देखने को मिला है। सतना जिला आबकारी विभाग में मुखिया यानी जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी सहित तमाम इंस्पेक्टर और निरीक्षकों की पदस्थापना है। शराब माफिया के लिए काम करने वालों की लिस्ट बहुत लंबी है। अवैध पैकारी का रोग जिला आबकारी विभाग की देन है। जिसके कारण हर वित्तीय वर्ष के दौरान शासन को लाखों रुपए के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ता है। शराब ठेकेदारों के इशारे पर चलने वाले जिला आबकारी विभाग से सुधार की उम्मीद करना तक बेमानी है। जिला आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर और निरीक्षकों की पूरी टीम मौजूद है जो शराब माफिया के लिए नौकरी बजाते हैं। इनमें जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी के अलावा आबकारी उप निरीक्षक राकेश अवधिया, उप निरीक्षक नागौद मीरा सिंह, उप निरीक्षक मैहर नीलेश गुप्ता, उप निरीक्षक कोठी सोनिया ठाकुर, आरक्षक धर्मराज सिंह, राजललन गुप्ता, श्वेता ठाकुर, दुलीचंद, बद्री पांडे, संतोष चौधरी, राजकरण त्रिपाठी, बृजलाल विश्वकर्मा, लोकेश सिंह, शिव ओम सिंह, रामनरेश दि्वेदी, कुंजलाल सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल गौतम और उमेश पाण्डे आबकारी विभाग की अहम और जिम्मेदार कड़ी है। यह पूरा अमला सतना जिले की सभी अंग्रेजी और देशी शराब दुकानों से बंधे हुए हैं। शराब ठेकेदारों को मुनाफा करवाने में जिला आबकारी विभाग की इस सरकारी फौज का महत्वपूर्ण रोल होता है।
निशाने पर मुखिया, शीघ्र निपटने के बन रहे हैं आसार
कोरोनावायरस महामारी के बीच घोषित लाक डाउन के दौरान 31 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश की सभी लाइसेंसी अंग्रेजी और देशी शराब दुकानों पर मौजूद शराब स्टाक का मिलान कराए जाने के बाद दुकानों को सीज कर दिया गया। इसके बाद भी लाक डाउन के दौरान विंध्य क्षेत्र में सबसे अधिक शराब सतना जिले में बिकी है। सतना जिले में डंके की चोट पर शराब दुकानों के पिछले हिस्से से अंग्रेजी और देशी शराब को गंतव्य तक पहुंचाने का काम जिला आबकारी विभाग की मिलीभगत से कराया गया। कुछ जगह शराब दुकानों का ताला तोड़कर शराब उड़ाई गई है। मध्य प्रदेश शासन को हर वित्तीय वर्ष में करोड़ों रुपए का राजस्व चूना लगाने का काम किया जाता है। सीधे तौर पर रेलवे को मिलने वाले फायदे को व्यक्तिगत लाभ में बदल दिया जाता है। लगातार शराब बिक्री को लेकर मिल रही अनियमितताओं को लेकर कलेक्टर अजय कटेसरिया ने जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी को फटकारते हुए कहा है कि सही तरीके से दुकानों का संचालन कराया जाए। अवैध शराब के कारोबार को समाप्त कराया जाए। इसके पहले रीवा जिले के मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने खुद शासन स्तर पर पत्र लिखते हुए सतना जिले के जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी पर लाल डाउन के दौरान अवैध रूप से शराब बिक वाने का आरोप लगाया है। सूत्रों की मानें तो इसके बाद ही कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए जिला आबकारी अधिकारी को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। जिला प्रशासन से मिल रही जानकारी के अनुसार बेलगाम जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी पर एक्शन लेने के लिए शासन स्तर पर कहा जा रहा है। लगातार शराब माफिया के कारण मीडिया की सुर्खियां बन चुके जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुर्मी की लाक डाउन समाप्त होते ही सतना जिले से विदाई के कयास लगाए जाने लगे हैं।
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