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बदली सरकार, स्वामी नीलकंठ आश्रम से हटेगा संकट



ट्रस्ट की संपत्ति को लेकर दस्तावेजों में किया गया खेल


सतना। मां शारदा की पवित्र भूमि मैहर धाम में मौजूद महान संत स्वामी नीलकंठ आश्रम की बेशकीमती संपति को निपटाने के लिए सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र को अंजाम दिया गया है। ट्रस्ट की संपत्ति को व्यक्तिगत नाम से करा लिया गया है। यह आश्रम जमीन घोटाला मैहर तहसील के संरक्षण में अंजाम दिया गया है। मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार किसी भी ट्रस्ट की संपत्ति को व्यक्तिगत नामे नहीं किया जा सकता। इस सनसनीखेज मामले की जड़ में कांग्रेस से जुड़े लोग भी शामिल है। यही वजह है कि लगातार आश्रम जमीन घोटाला का मामला अखबारों के साथ साथ सोशल मीडिया में छाया हुआ है। गुमराह करने वाले दस्तावेजों को राजस्व विभाग के परस्पर सहयोग से माफिया ने आसानी से तैयार करवा लिया है। जिसके आधार पर माफिया ने अपना अवैध कब्जा करोड़ों की संपत्ति बना लिया है। अभी तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने की वजह से मैहर तहसील में एसडीएम और तहसीलदार दबाव के कारण विलंब की कार्यवाही कर रहे थे। मैहर के लोकल कांग्रेसी नेताओं की भूमिका भी स्वामी नीलकंठ आश्रम के मामले में संदेहास्पद रही है। पंद्रह माह बाद कांग्रेस की सरकार को हटना पड़ा है। अब जल्द ही भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार बनाने वाली है। सरकार बदलने के बाद स्वामी नीलकंठ आश्रम की करोड़ों की संपत्ति को हड़पने का जिन लोगों ने सुनियोजित षड्यंत्र किया है, उन पर कार्रवाई का शिकंजा कसने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी माह मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बन जाएगी और उसके बाद सतना जिला सहित मैहर धाम में प्रभावी रहने वाले नेता इस गंभीर मामले में अविलंब कड़ी कार्रवाई करने की दिशा में काम शुरू कर देंगे। अभी तक कांग्रेस सरकार मध्य प्रदेश में होने का फायदा कहीं न कहीं मैहर मामले में उस माफिया को मिल रहा था जिसने महान संत स्वामी नीलकंठ आश्रम की संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। फिलहाल यह अति गंभीर मामला पुलिस और जिला प्रशासन स्तर पर लंबित है। सूत्रों ने बताया कि स्वामी नीलकंठ आश्रम की संपत्ति को सुरक्षित रखने का काम नयी सरकार *प्राथमिकता के साथ करेगी।
*शिक्षा माफिया में शामिल हैं कुछ चेहरे*
सूत्रों ने बताया कि स्वामी नीलकंठ आश्रम की संपत्ति पर पलीता लगाने का काम सुनियोजित तरीके से किया गया है। इस गंभीर मामले में मैहर तहसील की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है। यदि कलेक्टर अजय कटेसरिया सरकारी संपत्ति से जुड़े ट्रस्ट के आश्रम वाले मामले में गंभीरता फरमाएंगे तो सरकारी मशीनरी का वह हिस्सा भी पूरी तरह से बेनकाब होगा जिसने पैसों के खातिर अवैध कब्जा कराने का काम किया है। सूत्रों की मानें तो माफियाओं में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सतना न्यायालय में वकालत कर रहे हैं। बताया गया कि जाली दस्तावेजों के सहारे अधिवक्ता बने व्यक्ति की धर्मपत्नी के नाम पर भी फर्जी दस्तावेज और अंकसूची बनवाई गई है। मैहर एसडीएम और तहसीलदार की जुगलबंदी ने माफिया के लिए सुनियोजित तरीके से काम किया है। 
*भाजपा सरकार और कलेक्टर के हवाले मामला*
सतना जिले के मैहर तहसील में स्वामी विवेकानन्द नीलकंठ आश्रम की संपत्ति पर जाली दस्तावेजों के सहारे अवैध कब्जा कर लिया गया। पिछले पंद्रह माह से कांग्रेस सरकार के शासनकाल में करोड़ों के इस संवेदनशील घोटाले को पालने का काम सरकारी मशीनरी के सहयोग से किया गया है। इसी मार्च माह में भाजपा मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बनाने जा रही है। सरकार गठन के बाद मैहर तहसील के बहुचर्चित स्वामी नीलकंठ आश्रम घोटाले पर कितनी गंभीरता भाजपा सरकार दिखाएगी, यह आने वाले समय में जनमानस को पता लग जाएगा। इन दिनों सतना जिले की कमान बतौर कलेक्टर अजय कटेसरिया को सौंपी गई है। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद कलेक्टर अजय कटेसरिया माफियाओं के मंसूबों पर पानी कब तक फेर पाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।


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