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प्रदेश में सरकार बदलते ही टीआरएस कालेज में बदलाव


उद्घोष समय "राष्ट्रीय मासिक पत्रिका"



2021 में होना है नैक मूल्यांकन, प्रभावित होंगी तैयारियां


मध्य प्रदेश में सरकार के बदलते ही बदलाव की बयार बहने लगी है। जहां एक तरफ मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में इंसानी जीवन पर संकट के बादल उमड़ आए हैं वहीं चुनौतियों के बीच भाजपा सरकार आम जनमानस की सुरक्षा छोड़ राजनैतिक दांव-पेंच साधने में लगी हुई है।


भले ही मीडिया के सामने लोकप्रिय सीएम कोरोनावायरस की समस्या को लेकर सरकार की गंभीरता दिखा रहे हो पर जमीनी हकीकत यही है कि राजनैतिक बदलाव को अंजाम देने पर सरकार का विशेष जोर लगा हुआ है। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा के गलियारे में शासकीय ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय का नाम सुखियों में रहता है। नैक मूल्यांकन के दूसरे चरण में टीआरएस कालेज ने जिस सफलता को हासिल किया, वहां तक पहुंचने वाला मध्यप्रदेश में कोई दूसरा शासकीय महाविद्यालय नहीं है। 3.35 सीजीपीए अंकों के साथ टीआरएस कालेज नंबर वन की पोजीशन में आज भी बना हुआ है। मध्य प्रदेश की राजनीति में आए उथल-पुथल के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हें विवश होकर इस्तीफा देना पड़ा। मध्य प्रदेश में पंद्रह माह बाद सरकार बदल गई और एक बार फिर भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बना ली और चौथी बार सीएम बनकर शिवराज सिंह चौहान ने अपना नाम रिकार्ड में शामिल कर लिया। सत्ता के गलियारे में सनसनीखेज बदलाव सामने आया तो विंध्य क्षेत्र के शासकीय ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय में भी एक सप्ताह के अंदर बड़ा बदलाव कर दिया गया। टीआरएस कालेज को नैक मूल्यांकन की अग्नि परीक्षा में खरा सोना साबित करने वाले प्रभारी प्राचार्य डॉ रामलला शुक्ल से एक ही झटके में प्राचार्य की जिम्मेदारी छिन ली गई। 23 मार्च को उच्च शिक्षा विभाग ने टीआरएस कालेज में बदलाव को लेकर एक आदेश जारी कर दिया।  विभाग ने टीआरएस कालेज में पदस्थ डॉ अर्पिता अवस्थी को डीडीओ पावर सहित कालेज के प्राचार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तीसरी बार टीआरएस कॉलेज के सामने नैक मूल्यांकन की परीक्षा सन् 2021मे आने वाली है। जिसके लिए पिछले छः महीने से अलग-अलग टीमें अपने हिस्से की तैयारियों को अंजाम देने में लगी हुई हैं।


राजनैतिक हमला, निशाने पर हमेशा रहे शुक्ल
डॉ रामलला शुक्ल को लेकर राजनैतिक गलियारा समय समय पर सरगर्म रहा है। पंद्रह साल भाजपा का शासन पूरा होने के बाद सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया। कांग्रेस की सरकार बनते ही शहरी राजनीति के माहिर खिलाड़ी ने डॉ रामलला शुक्ल को निशाने पर लिया। उनके ऊपर आर एस एस और भाजपा सर्मथक होने का आरोप हमेशा ही लगता रहा है। कांग्रेस पार्टी के कुछ पदाधिकारी सहित युवाओं के बीच टीआरएस कालेज के प्राचार्य को बदलने की आवाज उठने लगी। इतना ही नहीं जब 30 जनवरी को टीआरएस कालेज में आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी टीआरएस कालेज आए तब भी स्वार्थ की राजनीति करने वाले लोगों ने डॉ रामलला शुक्ल को निशाने पर लिया।‌ मंत्री को बताया गया कि टीआरएस कालेज प्राचार्य आर एस एस और भाजपा सर्मथक है। यही वजह थी कि जब तत्कालीन मंत्री जीतू पटवारी टीआरएस कॉलेज पहुंचे तो कार्यक्रम के दौरान नैक मूल्यांकन की आड़ में डा रामलला शुक्ल से मंच पर ही सवाल जवाब होने लगे। इस परीक्षा में डा रामलला शुक्ल पूरी तरह से खरे उतरे और मंत्री भी संतुष्ट हो गये। कांग्रेस सरकार की विदाई और भाजपा सरकार का आगमन होते ही डॉ रामलला शुक्ल से कालेज के प्राचार्य की जिम्मेदारी सुनियोजित तरीके से छिन ली गई। सूत्रों की मानें तो यह बदलाव भी पूरी तरह से सुनियोजित है, क्योंकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में डा रामलला शुक्ल ने विकास का सहयोग नहीं किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के प्रचार में व्यक्तिगत रुचि लेने के कारण भी डा रामलला शुक्ल भाजपाइयों के निशाने पर आ गए थे। यदि भाजपा की सरकार उस समय प्रदेश की सत्ता में होती तो जो बदलाव अभी हुआ है वह पहले ही हो जाउचता। 


टीआरएस कालेज में बदलाव, दुश्मन भी हुए कायल
शासकीय ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय में पिछले कुछ सालों के दौरान आने वाले बदलाव को देखकर दुश्मन भी डॉ रामलला शुक्ल के मैनेजमेंट का लोहा मानने लगे। साल 2016 में हुए नैक मूल्यांकन की कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही टीआरएस कालेज को दूसरी बार ए ग्रेड मिलने के साथ ही सीजीपीए अंक 3.35 हासिल हुआ जो पूरे मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना। इस सफलता को हासिल करने के लिए डॉ रामलला शुक्ल ने अपनी पूरी टीम के साथ हर प्वाइंट पर बेहतर तरीके से काम किया और टीआरएस कॉलेज के नाम पर ऐतिहासिक सफलता हासिल की। टीआरएस कालेज परिसर में पीछे की तरफ तैयार कराए गए हरियाली से सराबोर गार्डन को दूर से देखते ही हर कोई उसी तरफ खिंचा चला जाता है। टीआरएस कालेज में ऐतिहासिक बदलाव लाने में महती भूमिका निभाने वाले डॉ रामलला शुक्ल की कार्यशैली का दुश्मन भी कायल बन गया। 


स्थापना दिवस समारोह पर उमड़े संकट के बादल
सन् 1869 में शुरू होने वाले शैक्षणिक संस्थान की स्थापना के 150 साल को समारोह के रुप में सेलिब्रेट करने की योजना बनाई गई है। पिछले छः महीने से स्थापना दिवस समारोह के लिए टीआरएस कालेज में प्रबंधन तैयारी करवा रहा है। इस समारोह के लिए पहली बार टीआरएस कॉलेज में एलयुमिनी का गठन किया गया। जिसके अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम सिंह हैं। इस आयोजन को भव्य रुप से आयोजित कराने के लिए एल्यूमिनी एसोसिएशन के साथ साथ टीआरएस कॉलेज का प्रबंधन स्थापना दिवस समारोह की तैयारियां करने में लगा हुआ है। अचानक मध्य प्रदेश की सरकार बदलने के साथ ही टीआरएस कालेज में प्राचार्य को लेकर बदलाव कर दिया गया है। इस बदलाव से स्थापना दिवस समारोह आयोजन पर संकट के बादल उमड़ आए हैं। 


राजनीति में गहरी पैठ, बदलाव की बनी उम्मीद
डॉ रामलला शुक्ल पुराने आर एस एस के सिपाही है। इसके पहले भी टीआरएस कालेज के प्राचार्य पद को लेकर सुनियोजित बदलाव किए जाते रहे हैं। हर बार धमाकेदार वापसी करने में डा रामलला शुक्ल कामयाब रहे हैं। सूत्रों की मानें तो रीवा जिले के राजनैतिक पावर की वजह से शासकीय ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय में प्राचार्य की कुर्सी को लेकर सुनियोजित बदलाव को अंजाम दिया गया है। विंध्य क्षेत्र की सियासत के जानकारों की मानें तो डॉ रामलला शुक्ल की जल्द टीआरएस कालेज के प्राचार्य की कुर्सी पर वापसी होगी। राजनैतिक दांव-पेंच के साथ डा रामलला शुक्ल से प्राचार्य की जिम्मेदारी को छिना गया है, यही वजह है कि बुद्धिजीवी मान रहे हैं कि राजनैतिक दबाव के साथ ही डॉ रामलला शुक्ल प्राचार्य की कुर्सी पर धमाकेदार वापसी आने वाले दिनों में कर सकते हैं।


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