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कुकुरमुत्ते की तरह विंध्य क्षेत्र में फैले निजी महाविद्यालय

कागजों तक सीमित संचालन, सुनियोजित यहां खिलवाड़


सतना। शिक्षा माफिया की जड़ें इतनी मजबूत हो चुकी है कि उन पर सहज हाथ डालने की हिम्मत कोई नहीं करता। हकीकत से परिचित होने के बाद भी शिकायत दर्ज होने का इंतजार करना सरकारी मशीनरी बेहतर मानती है। विंध्य क्षेत्र में कुकरमुत्ते की तरह निजी कालेजों का संचालन चारों तरफ फैल गया है। सुनियोजित तरीके से पहले शासन स्तर से मान्यता और उसके बाद अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से संबद्धता हासिल करने में फर्जी लोगों को महारथ हासिल है। समय के साथ विंध्य क्षेत्र के रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिले में दिखावटी निजी कालेजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। झूठे विज्ञापन के सहारे निजी कालेज संचालक युवाओं को फंसाने में आसानी से कामयाब हो जाते हैं। हर शैक्षणिक सत्र के दौरान विंध्य क्षेत्र के चारों जिलों में नियम कायदों की धज्जियां उड़ाने वाले निजी कालेजों की शुरुआत कर ली जाती है। फाइलों के ऊपर रखे गए वजन के आधार पर आसानी के साथ उच्च शिक्षा विभाग से संबद्धता हासिल करने में शिक्षा माफिया कामयाब हो जाता है। शिक्षा माफिया का नेटवर्क विंध्य क्षेत्र सहित पूरे मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहा है। महज एक दो कमरों में संचालित होने वाले निजी कालेजों की हकीकत हमारे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का काम करती है। किसी भी निजी कालेज का संचालन यूजीसी के निर्देश पर किया जाना चाहिए, लेकिन विंध्य क्षेत्र के चारों जिलों में बहुतायत ऐसे निजी महाविद्यालय संचालित है जो यूजीसी के तमाम मापदंडों को केवल कागजों में पूरा करना जरुरी समझते हैं। मजेदार बात यह है कि फर्जी निजी कालेजों की संख्या बढ़ाने के मामले में उच्च शिक्षा विभाग और अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा की भी महती भूमिका रहती है। 
यूजीसी के मापदंडों के साथ मजाक, फिर भी संचालन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के मापदंडों पर ही कालेज का संचालन कराया जाता है। समय समय पर कालेज संचालन के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जिन मापदंडों को अनिवार्य कर रहा उनकी पूर्ति रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिले के अधिकांश निजी महाविद्यालयों में जानबूझकर नहीं की जाती है। जिससे कालेज संचालन करने वालों पर कम से कम आथिर्क बोझ पड़े। नियमानुसार कालेज संचालन के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। तीन हजार पुस्तकों की विधिवत लाइब्रेरी, खेलकूद के लिए मैदान, उच्च तकनीक वाली प्रयोगशाला, नेट और पीएचडी होल्डर शिक्षक पढ़ाने के लिए तैनात होने चाहिए। अधिकांश मापदंडों का पालन विंध्य क्षेत्र के पचास फीसदी से अधिक निजी कालेजों में नहीं किया जा रहा है। 
रामपुर चौरासी तक फैल गया माफिया का रैकेट
उच्च शिक्षा विभाग और अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा की घोर लापरवाही और वसूली वाले सिस्टम की वजह से लगातार विंध्य क्षेत्र में कागजी व्यवस्था पर चलने वाले निजी कालेजों की संख्या बढ़ती जा रही है। चित्रकूट कर्वी रोड़ पर रामपुर चौरासी में राधाकृष्ण मीरा कांवेंट कालेज संचालित कराया जा रहा है। यह कालेज भी युवाओं को गुमराह करते हुए उनके भविष्य के साथ सुनियोजित खिलवाड़ कर रहा है। यहां पर बहुतायत ऐसे पढ़ाने वाले शिक्षक हैं जिन्होंने नेट या पीएचडी डिग्री को अभी तक हासिल नहीं किया है। दसवीं और बारहवीं पास करने वाले लोग बहुत से निजी कालेजों में पढ़ाने का काम करते हैं। रामपुर चौरासी का यह कालेज भी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा से संबद्धता हासिल कर चुका है। दिखावे के लिए इस निजी कालेज में बीबीए, बीसीए, बीएसडब्ल्यू, बीए, बीकाम, बीएससी, बीएड सहित अन्य कोर्स संचालित कराए जाते हैं। इस कालेज में भी सिर्फ कागजों में यूजीसी के तमाम मापदंडों को पूरा किया जा रहा है। हर साल संबद्धता देने के लिए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा की टीम निजी कालेजों का निरीक्षण करने के लिए दिखावा करती है। टीम में शामिल सदस्यों की जमकर खातिरदारी निजी कालेज के संचालक पूरी ईमानदारी से करते हैं। वापसी के दौरान विवि की टीम के सदस्यों को वजनदार लिफाफा देकर रवाना किया जाता है।


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