बीच शहर में बड़ा हादसा होने के बाद भी जिला प्रशासन संजीदा नहीं
सतना। नो एंट्री व्यवस्था को हमारी पुलिस ने अपनी ऊपरी कमाई का मुख्य जरिया बना लिया है। यही वजह है कि बाहर से अंदर आने वाले ट्रक चालकों से ड्यूटी पर तैनात पुलिस दोनों हाथों से ऊपरी कमाई के सपने को साकार करती है। रोज शहर के चित्रकूट पहुंच मार्ग पर पेट्रोल टंकी के आसपास, मैहर बाईपास, गहरानाला क्षेत्र, सोहावल मोड़ के आसपास नो एंट्री का पालन कराने के लिए तैनात रहने वाली पुलिस की सरासर बेमानी के कारण भारी वाहनों पर सख्ती के बाद भी शहर के अंदर उनका प्रवेश करा दिया जाता है। टिकुरिया टोला से भी बाया बाईपास भारी वाहन शहर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। कुछ साल पहले सतना नदी के करीब नो एंट्री पर लापरवाही किए जाने की वजह से अर्जुन नाम का एक सिरफिरा भारी वाहन लेकर नजीराबाद होते हुए शहर के अंदर पहुंच गया था। पुलिस की इस लापरवाही के कारण कुछ लोग अकारण ही मौत की नींद सो गए थे। इस बड़े हादसे के बाद कुछ समय के लिए जिला प्रशासन और पुलिस दोनों नो एंट्री को लेकर गंभीर गंभीर नजर आने लगी थी। लेकिन हफ्ता दस दिन बाद एक बार फिर से बेलगाम पुलिस व्यवस्था सड़कों पर नजर आने लगी। मुख्य सड़कों पर नो एंट्री का पालन कराने के लिए तैनात रहने वाली पुलिस अपने फायदे के लिए ड्यूटी से सुनियोजित खिलवाड़ करते हुए दोनों हाथों से पैसा कमाने में लगी रहती है। नो एंट्री की व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिन पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाता है वही अवैध रूप से भारी वाहनों को शहर के अंदर प्रवेश करवाते हैं। नो एंट्री खुलने का समय व्यतीत करने के बजाय चालाक वाहन चालक प्वाइंट पर तैनात पुलिस वाले के हाथों में वजन बढ़ाकर चुपचाप शहर के उस हिस्से तक पहुंच जाते हैं जहां उन्हें लोड खाली करना है। रोज मुख्य रास्तों पर नो एंट्री से खिलवाड़ करने वाली पुलिस के कारण हमेशा बड़े हादसे का खतरा हर समय बना रहता है। पुलिस के आला अधिकारी प्वाइंट पर रहने वाले पुलिस वालों पर किसी तरह का दबाव नहीं बना पाते। यही वजह है कि खाकी वर्दी के साथ साथ प्वाइंट पर तैनात रहने वाली यातायात पुलिस भी ऊपरी कमाई करने के लिए बेमानी करने में संकोच नहीं करती है। जिला प्रशासन भी सख्ती के साथ नो एंट्री का पालन नहीं करवा पाता है। इस महत्वपूर्ण व्यवस्था पर पुलिस की तरह जिला प्रशासन का डायरेक्ट इंटरफेयर न होने के कारण पुलिस वालों को अपनी मनमानी करने का पूरा मौका मिल जाता है। यही वजह है कि सतना जिले में नो एंट्री व्यवस्था के नाम पर जानबूझकर लीपापोती को अंजाम दिया जाता है। कलेक्टर अजय कटेसरिया फिलहाल नो एंट्री व्यवस्था पर तरीके से गौर नहीं फरमा पाए हैं। यही वजह है कि बेलगाम पुलिस नो एंट्री व्यवस्था को लेकर खिलवाड़ करने का साहस दिखा पाती है।
*पुलिस अधीक्षक का नहीं है कोई कंट्रोल*
आपराधिक घटनाओं पर विराम लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने बहुत से प्रयास किए। जुंआ सट्टा जैसे बेलगाम कारोबार पर सार्थक रुप से नकेल कसने में सफल होने वाले एसपी नो एंट्री व्यवस्था को कसौटी पर टाइट नहीं कर पाए हैं। समय समय पर थानों के टीआई को मीटिंग में एसपी रियाज इकबाल नो एंट्री व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जरुर देते हैं पर थाना प्रभारी साहबों की सुनकर अपनी मनमानी करने के आदी हो गए हैं। यही वजह है कि शहर मुख्यालय के अलग-अलग प्वाइंट पर नो एंट्री व्यवस्था का पालन कराने के लिए तैनात पुलिस ही पैसे लेकर भारी वाहनों को शहर के अंदर प्रवेश करवाती है। जब तक सिपाहियों में कठोर कार्रवाई का भय नहीं होगा तब तक नो एंट्री व्यवस्था के नाम पर लूट खसोट का सिलसिला अफसोस यूं ही जारी रहेगा।
0 Comments