Header Ads Widget

Responsive Advertisement

पुलिस की पुरानी पहचान बदलने की चुनौती कायम

पुलिस की पुरानी पहचान बदलने की चुनौती कायम
गरीब और साधारण लोगों के लिए मुसीबत बनी पुलिसिंग


सतना। विंध्य क्षेत्र सहित हमारे पूरे देश में मौजूद पुलिस की सालों पुरानी पहचान को बदलना आज सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। जहां देखो वहीं कमजोर, गरीब और साधारण लोगों को पुलिस हमेशा अपना सेफ गोल मानती है। विंध्य क्षेत्र के रीवा और सतना बाईपास एरिया में तैनात पुलिस छोटे और बड़े वाहनों को रोक कर नजराना वसूलने की परंपरा बराबर चल रही है। शाम ढलने के बाद पुलिस वाले अपने शिकार की तलाश में जुट जाते हैं। अवैध वसूली करना पुलिस अपना नैतिक अधिकार समझती है, इसलिए जहां देखो वहीं पुलिस की वसूली वाले पैटर्न के कारण लोगों को परेशान देखा जाता है। मजेदार बात यह है कि पुलिस के डीजीपी, आईजी, पुलिस अधीक्षक स्तर के जिम्मेदार अधिकारियों को बखूबी पता जरुर है पर वे इस पुरानी घटिया परंपरा को समाप्त करने के उद्देश्य से आवश्यक कदम उठाने का प्रयास तक नहीं कर पाए हैं। ट्रक चालकों के लिए वैसे भी पुलिस हमेशा से सबसे बड़ी समस्या रही है। इतना ही नहीं पैसे लेकर नो एंट्री में बड़े वाहनों को प्रवेश कराने का कारनामा हमारी पुलिस रोज करती है। आम जनता यदि अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं करती है तो निसंदेह पुलिसिंग में आवश्यक सुधार की नितांत आवश्यकता है। बढ़ते अपराधो के बीच लोगों के बीच डर बना रहता है कि न जाने कब कौन और कहां हमारे लिए मुसीबत बन जाए। कहते हैं कि जब रामराज्य का जमाना था तब लोग अपने घरों में ताला तक नहीं लगाते थे, सबसे बड़ी बात है कि उस जमाने में लोगों की जरुरतें सीमित रही हैं और चोर उचक्कों का कोई भय नहीं था। लेकिन आज हालात पूरी तरह से पलट गये हैं, आज लोगों के बीच असुरक्षा की भावना घर कर गई है। यही वजह है कि मोहल्लों में रहने वाले लोग अपने पड़ोस में रहने वालों से भी भयभीत रहते हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ साथ देश के ग्रामीण इलाकों में भी अपराध मजबूती के साथ फैल गया है। आए दिन चलती सड़क पर लोगों का बैग पार हो जाता है। महिलाओं के गले से सोने की चेन गायब कर दी जाती है। समाज में समय के साथ न केवल अपराध बढ़ा है बल्कि उसके तौर तरीके भी अब हाईटेक हो चुके हैं। अब तो लोग आपसी विश्वास में लेने के बाद चूना लगाने का काम कर देते हैं।



जनमानस को नहीं रहा पुलिस पर भरोसा



हमारे देश में अपराधों की बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित हो चुकी है। आज के लोग अपने आपको पुलिस के लिहाज से सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं। अपनी और अपनों की सुरक्षा पर खुद गौर फरमाने की आदत लोगों में समय के साथ विकसित हो गई है। रीवा और सतना जिले के शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक अपराध उजागर होता है। नशे के बेकाबू कारोबार के साथ साथ पुलिसिंग कमजोर होने लगी है। इसलिए राह चलते चेन स्नेचिंग, बैग पार, चाकूबाजी, छेड़छाड़ जैसी गंभीर घटनाएं सहजता के साथ सामने आ जाती है। बढ़ते अपराधो को देखते हुए अब जनमानस हमेशा सुरक्षा को लेकर चिंता से घिरे रहते हैं। अवैध वसूली वाली परंपरा को समाप्त करने का काम पुलिस के प्रमुख आला अधिकारी नहीं कर रहे हैं। लचर पुलिसिंग सिस्टम कायम रहने के कारण अब देश के गांवों तक नशा और अपराध बेलगाम हो गया है। शहर से लेकर गांवों तक की हालत लगातार खराब होती जा रही है। क्या कभी हमारे देश की पुलिसिंग बेहतर हो पाएगी।


Post a Comment

0 Comments